खोट देखते हैं
मन पर नहीं तन पर लगी बस चोट देखते हैं
आदत है जिनकी पीठ के पीछे से वार करना
वे वार से कुछ और पहले ओट देखते हैं
पग पग सियासत ने बिछा रक्खी बिसात ऐसी
इंसान में शतरंज की इक गोट देखते हैं
हर रोज घोटाला कि हत्या लूट और डाका
अखबार के हर पृष्ठ पर विस्फोट देखते हैं
निपटें बता कार्यालयों में मामलात कैसे
जब कर्मचारी फाइलों में नोट देखते हैं
दो वक्त की होती नहीं रोटी नसीब जिनको
वे कुछ भुने चनों में अखरोट देखते हैं
डिगने लगा विश्वास अब जनतंत्र से ही जन का
नेता तो बस हर योजना में वोट देखते हैं
अब योग्यता मापी नहीं जाती यहाँ सनद से
टाई गले में और तन पर कोट देखते हैं
बैठे हुए हैं लोग 'भारद्वाज' ले कसौटी
कद से भी पहले आपका लंगोट देखते हैं
चंद्रभान भारद्वाज