सरल सा हल नहीं मिलता
किसी को जल नहीं मिलता किसी को थल नहीं मिलता
ये जीवन भिन्न है टेढ़ी सरल सा हल नहीं मिलता
जगत को बाँटने में रिक्त की गंगाजली जिसने
स्वयं की मौत पर उसको ही गंगाजल नहीं मिलता
लगी है आग नफरत की धुआँ हर ओर फैला है
बुझाने आग को अब प्यार का दमकल नहीं मिलता
यहाँ जब माँगते हैं धूप तो उगता नहीं सूरज
अगर हम मांगते पानी कहीं बादल नहीं मिलता
मियां क्यों छानते हो खाक नाहक़ उस इमारत में
फटे टाटों के इक गोदाम में मखमल नहीं मिलता
कहीं इफरात के कारण अपच से पेट रोगी है
कहीं बच्चों के भूखे पेट को चावल नहीं मिलता
किसी ने फाड़ कर टुकड़ा कभी बाँधा था घावों पर
तलाशा उम्र भर वह रेशमी आँचल नहीं मिलता
मिलन की आस में जब बैठती श्रृंगार करने वो
कभी बिंदी नहीं मिलती कभी काजल नहीं मिलता
अधजली लाश भारद्वाज बिन पहचान रह जाती
अगर झाड़ी में उसके कान का कुण्डल नहीं मिलता
चंद्रभान भारद्वाज