Monday, June 6, 2011

बना दिया

हालात ने तकदीर का मारा बना दिया 
पर शायरी ने आँख का तारा बना दिया 

कुछ चाहतों ने तो उमर को पर लगा दिए 
कुछ हसरतों ने एक बनजारा बना दिया 

जलते दिये अक्सर हवाओं ने बुझा दिए
चिनगारियों को यार अंगारा बना दिया 

जब तक नदी बनकर रहा मीठा बना रहा 
सागर बना तो पानी भी खारा बना दिया 


मालूम है उसको किसे किस रूप में रखे 
हीरा कोई  शीशा कोई पारा बना दिया

यह ज़िन्दगी क्या क्या बनाएगी अभी हमें 
अच्छा भला इंसान बेचारा बना दिया 

कुछ देर पहले तक जो 'भारद्वाज' आम था 
उसकी निगाह ने उसे न्यारा बना दिया 


चंद्रभान भारद्वाज