Wednesday, May 13, 2015

टूटे हुए रिश्तों का कोई हल न मिलेगा 

टूटे  हुए रिश्तों का कोई हल न मिलेगा
इक प्यार में भीगा हुआ आँचल न मिलेगा

बाँधा हुआ था स्नेह  की इक डोर से जिसने
बाँहों के उस घेरे का फिर संबल न मिलेगा

जो ज़िन्दगी की राह में पग पग पे पिया था
उन शरबती आँखों का गंगाजल न मिलेगा

मिलने  को तो मिल जाएंगे हमदर्द हजारों 
आँखों में उनकी  प्यार का काजल न मिलेगा

जिसने कभी अाहुति नहीं दी  प्रेम हवन में 
उसको प्रसादी का अमर श्रीफल  न मिलेगा

आया हुआ हो  द्वार पर अवसर न  गँवाना
लौटा अगर वो आज तो फिर कल न मिलेगा

परदेश में दौलत तो 'भारद्वाज' मिलेगी
पर छाँह दे वो नीम या पीपल न मिलेगा

चंद्रभान भारद्वाज


Saturday, May 2, 2015

                  पूजा घर बना दिया 

वीरान दिल को एक पूजा घर बना दिया 
इक बूँद को भी प्यार का सागर बना दिया 

ठोकर लगी थी राह में जिससे कभी हमें 
हमने उसी को मील का पत्थर बना दिया 

रातों को गहरी नींद की चिंता नहीं रही 
हाथों का तकिया देह का बिस्तर बना दिया 

जिसकी वजह से कल दिलों में फासले हुए 
आँगन की उस दीवार में इक दर बना दिया 

आकाश की ऊँचाइयों को छू सकें कभी 
सोये हुए हर हौसले को पर बना दिया 

थक हार कर जो रुक गए थे राह में कहीं 
इक प्रेरणा से जीत का अवसर बना दिया 

गुम हो गया था जो समय के गर्त में कहीं 
उस नाम का सोने का हर अक्षर बना दिया 

घर का पता कोई न कोई गाँव  का पता 
इस ज़िन्दगी ने हमको यायावर बना दिया 

तक़दीर के भी खेल 'भारद्वाज' हैं अजब 
नौकर को मालिक मालिक को नौकर बना दिया 

चंद्रभान भारद्वाज