Saturday, April 24, 2010

हमें ऐ ज़िन्दगी तुझ से शिकायत भी नहीं कोई

वसीयत भी नहीं कोई   विरासत भी  नहीं कोई
हमें ऐ  ज़िन्दगी तुझ से शिकायत भी नहीं कोई

रहा खुद पर भरोसा या रहा है सिर्फ ईश्वर पर
सिवा इसके हमारे पास ताकत भी नहीं कोई

मिले बस चैन दिन का और गहरी नीद रातों की
हमें अतिरिक्त इसके और चाहत भी नहीं कोई

खड़ा है कठघरे में सिर्फ अपना सच गवाही को
हमारे पक्ष में करता वकालत भी नहीं कोई

करे जो दूध का तो दूध पानी का करे पानी
बिके सब हंस अब उनमें दयानत भी नहीं कोई

हवा का देख कर रुख लोग अपना रुख बदलते हैं
हवा को ही बदल दे ऐसी हिकमत भी नहीं कोई

हमारे नाम का उल्लेख 'भारद्वाज' हो जिसमें
कहानी भी नहीं कोई कहावत भी नहीं कोई

चंद्रभान भारद्वाज

Tuesday, April 6, 2010

उनकी नज़र में खास बन जाते

तमन्ना थी कि हम उनकी नज़र में खास बन जाते 
कभी   उनके   लिए   धरती   कभी आकाश बन जाते 

अगर वे  प्यास  होते तो ह्रदय  की तृप्ति  बनते हम 
अगर वे तृप्ति होते तो अधर की प्यास बन जाते

समय की चोट से आहत ह्रदय यदि टूटता उनका 
परम विश्वास   बनते या  चरम उल्लास  बन   जाते 

भिगोती जब किसी की याद पलकों के किनारों को 
उमड़ते  प्यार  में   डूबा  हुआ   अहसास  बन   जाते 

समय की चाल पर जो ज़िन्दगी की हारते बाजी 
जिताने के लिए उनको तुरुप का ताश बन जाते 

पड़े होते अगर वीरान में बनकर कहीं पत्थर 
वहाँ हर ओर उनके हम मुलायम घास बन जाते 

दिखाई हर तरफ उनको ये 'भारद्वाज' ही देता 
बिठा कर केंद्र में उनको परिधि या व्यास बन जाते 

चंद्रभान भारद्वाज