Tuesday, April 29, 2014

          साथ रखना 

नज़र में दिशा और दशा साथ रखना 
सफर में नया हौसला साथ रखना  

कहाँ हाथ यह ज़िंदगी छोड़ देगी 
सदा इक मुकम्मिल पता साथ रखना 

चले संग जो एक परछाईं बनकर 
बना कोई ऐसा सखा साथ रखना 

बने फूल हर एक काँटा डगर का 
बुजुर्गों के दिल की दुआ साथ रखना 

सरसता भरेगी अकेली उमर में 
प्रणय में पगी इक कथा साथ रखना 

उजाला न देगा यहाँ और कोई 
स्वयं को ही दीया बना साथ रखना 

'भरद्वाज' पूँजी है यह दुर्दिनों की   
बँधी गाँठ में कुछ बफा साथ रखना 

चंद्रभान भारद्वाज 

Tuesday, April 22, 2014

               खुशी देखते हैं 

गुणीजन ग़मों में खुशी देखते हैं
मरण में नई ज़िन्दगी देखते हैं

कहानी कभी कोई घटती है ऐसी
पलों में ही पूरी सदी देखते हैं

पनपता है जब आस का बीज कोई
मरुस्थल में बहती नदी देखते हैं

अचानक जनमता है वैराग्य मन में
चिता जब भी कोई जली देखते हैं

महावीर बनते कि वे बुद्ध बनते
जो वैश्या में भी इक सती देखते हैं

न मतलब हमें मंदिरों मस्जिदों से
हरिक मूर्ती मन में बसी देखते हैं

न होगा 'भरद्वाज' मन स्वच्छ उनका
जो औरों में बस गंदगी  देखते हैं

चंद्रभान  भारद्वाज 
                       मिले हैं 

हवाले मिले हैं घोटाले मिले हैं
नज़र बंद है मुँह पे ताले मिले हैं

खरीदे हुए हैं सभी ने स्वयं ही
जिन्हें हार श्रीफल दुशाले मिले हैं

बताते हैं वे खुद जुड़े हैं ज़मीं से
न पैरों में मिट्टी न छाले मिले हैं

लगे मस्तकों पे तो चन्दन के टीके
दुपट्टे मगर दाग वाले मिले हैं

चुनावों में देखी है तस्वीर ऐसी
कि मस्जिद से जाकर शिवाले मिले है

हवा रोशनी के लिए थी जो खिड़की
वहाँ सिर्फ मकड़ी के जाले  मिले हैं

'भरद्वाज' कल एक गंगोत्री थी
जहाँ गन्दगी के पनाले मिले हैं

चन्द्रभान भारद्वाज