Tuesday, May 24, 2011
Sunday, May 22, 2011
जब कहीं दिलबर नहीं होता
इक ज़िन्दगी में जब कहीं दिलबर नहीं होता
होते दरो-दीवार तो पर घर नहीं होता
जिसकी नसों में आग का दरिया न बहता हो
जिसकी नसों में आग का दरिया न बहता हो
काबिल भले हो वह मगर शायर नहीं होता
लहरें न उठतीं हों नहीं तूफ़ान ही आते
लहरें न उठतीं हों नहीं तूफ़ान ही आते
सूखा हुआ तालाब इक सागर नहीं होता
जो नब्ज पहचाने न समझे धड़कनें दिल की
जो नब्ज पहचाने न समझे धड़कनें दिल की
होता है सौदागर वो चारागर नहीं होता
उमड़ीं घटायें जब कभी बिन प्यार के बरसीं
उमड़ीं घटायें जब कभी बिन प्यार के बरसीं
तन भीग जाता है मगर मन तर नहीं होता
यादों की खुशबू से अगर दालान भर जाते
यादों की खुशबू से अगर दालान भर जाते
गुलज़ार सपनों का महल खँडहर नहीं होता
यदि प्यार के बीजों में अंकुर फूटते पहले
यदि प्यार के बीजों में अंकुर फूटते पहले
तो खेत 'भारद्वाज' का बंजर नहीं होता
चंद्रभान भारद्वाज
चंद्रभान भारद्वाज
Wednesday, May 18, 2011
दुनिया है थोथे रिश्तों की
भेंट लिफाफों गुलदस्तों की
दुनिया है थोथे रिश्तों की
तोलें सिर्फ तराजू लेकर
यारी भी पुश्तों पुश्तों की
सत्ता चलती है बस्ती में
चोर उचक्कों अलमस्तों की
भोग रहा कन्धों पर पीड़ा
बचपन बोझीले बस्तों की
लूटा ऐ टी ऍम शहर में
खोली पोल पुलिस गश्तों की
बरदी बत्ती बेबस लगतीं
बदहालत है चौरस्तों की
'भारद्वाज' हुआ है दुबला
चिंता में मासिक किश्तों की
चंद्रभान भरद्वाज
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