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नाज़ है तो है
नाज़ है तो है;
हमारे प्यार पर हमको अगर कुछ नाज़ है तो है;
हमारी भी निगाहों में कहीं मुमताज़ है तो है।
दिया बनकर जले दिन-रात उसकी मूर्ति के आगे,
ये अपने सूफियाना प्यार का अंदाज़ है तो है।
उमर इक खूबसूरत मोड़ पर दिल छोड़ आयी थी,
धड़कनों में उसी की गूंजती आवाज़ है तो है।
हमारा प्यार उठती हाट का सौदा नहीं कोई,
बंधे अनुबंध में दुनिया अगर नाराज़ है तो है।
खुली है ज़िन्दगी अपनी कहीं परदा नहीं कोई,
अँगूठी में जड़ा उसका दिया पुखराज है तो है।
हमारे प्यार का आधार बालू का घरोंदा था,
हमारी आँख में वह आज तक भी ताज है तो है।
अभी तक पढ़ रहे हैं बस रदीफों काफिओं को हम ,
ग़ज़ल में पर हमारा नाम 'भारद्वाज' है तो है।
चंद्रभान भारद्वाज
2 comments:
उमर इक खूबसूरत मोड़ पर दिल छोड़ आयी थी,
धड़कनों में उसी की गूंजती आवाज़ है तो है।
हमारे प्यार का आधार बालू का घरोंदा था,
हमारी आँख में वह आज तक भी ताज है तो है।
मैंने कहीं सुना था ;
दिया खामोश है मगर किसी का दिल जलता है
चले आओ जहाँ तक रोशनी मालूम होती है ..
आज देखी दिए की खामोशी
बहुत ख़ूब!
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