Friday, March 26, 2010

वो गुजरता है पागल हवा की तरह

राह में जिसकी जलते शमा की तरह  
वो गुजरता है पागल हवा की तरह

छलछलाते  हैं  आँसू  अगर   आँख में
पीते  रहते  हैं  कड़वी  दवा  की  तरह 

करना मुश्किल उसे धड़कनों से अलग 
प्राण  लिपटे  तने  से लता की तरह 

प्यार का पुट न हो ज़िन्दगी में अगर
 तो वो लगती है बंजर धरा की तरह 

इक नियामत सी लगती थी जो ज़िन्दगी 
कट  रही  एक   लम्बी  सजा  की तरह 

उड़  गए  संग  झोंकों  के  बरसे  बिना 
जो  घुमड़ते  रहे   थे   घटा   की  तरह

एक  पत्थर  की   मूरत   पसीजी  नहीं 
पूजते   हम   रहे   देवता   की    तरह

हमने प्रस्ताव ठुकरा दिया इसलिए
प्यार भी मिल रहा था दया की तरह

सूझता ही न अब कुछ 'भरद्वाज' को
प्यार सिर पर चढ़ा है नशा की तरह

चंद्रभान भारद्वाज

8 comments:

Amitraghat said...

आपने शब्द अच्छे चुने........"

वीनस केसरी said...

हमने प्रस्ताव ठुकरा दिया इसलिए
प्यार भी मिल रहा था दया की तरह

सूझता ही न अब कुछ 'भरद्वाज' को
प्यार सिर पर चढ़ा है नशा की तरह

सर आपकी शायरी में जो जिंदादिली देखने को मिलती है सचमुच नायाब है

राह में जिसकी जलते शमा की तरह
इस मिसरे में "जिसकी जलते" शब्द से कुछ अटकाव आ रहा है पढ़ने में क्या यहाँ "जिसके जलती" पढ़ा जा सकता है ?

कृपया जरूर बताएं

chandrabhan bhardwaj said...

भाई वीनस केशरी जी,
आपने जो प्रश्न उठाया है उसके लिये
यह कहना है कि 'राह' स्त्री लिंग है अतः
इसके लिये 'जिसकी' शब्द ही प्रयोग होगा।
वैसे 'जिसकी' में 'की' में मात्रा गिराकर पढ़ेंगे
तो अटकाव नही आयेगा। एक बार पढ़ कर देखें।
फिर बतायें।गज़ल पढ़ने के लिये और उस पर अपने विचार रखने के लिये आपका आभारी हूँ। धन्यवाद।
चन्द्रभान भारद्वाज

इस्मत ज़ैदी said...

भारद्वाज जी ,नमस्कार
प्यार का पुट न हो ज़िन्दगी में अगर
तो वो लगती है बंजर धरा की तरह

बहुत सुंदर और सच्ची बात कही है

उड़ गए संग झोंकों के बरसे बिना
जो घुमड़ते रहे थे घटा की तरह

इंसान के स्वार्थी स्वभाव का सटीक चित्रण

Rajeysha said...

वाह-वाह।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

इक नियामत सी लगती थी जो ज़िन्दगी
कट रही एक लम्बी सजा की तरह
वाह.....वाह......यादगार शेर
हमने प्रस्ताव ठुकरा दिया इसलिए
प्यार भी मिल रहा था दया की तरह

खुद्दारी की प्रभावशाली प्रस्तुति.

नीरज गोस्वामी said...

Ek Ek sher Nagiine sa jada hua hai is ghazal men..dil moh liya...lajawab ghazal...waah...
Neeraj

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

आपकी हर ग़ज़ल सुन्दर है ! उम्मीद है की आप से बहुत कुछ सीख पाऊँगा ।