Monday, March 1, 2010

फूस पर चिनगारियों का नाम हो जैसे

फूस पर चिनगारियों का नाम हो जैसे 
ज़िन्दगी दुश्वारियों का नाम हो जैसे 

पेड़ अब होने लगा है छाँह के काबिल 
पर तने पर आरियों का नाम हो जैसे  

आह आँसू करवटें तड़पन प्रतीक्षाएं
प्यार ही सिसकारियों का नाम हो जैसे 

कुर्सियों पर लिख रहे हैं लूट के  किस्से 
हर डगर पिंडारियों का नाम हो जैसे 

नाम अपना भी वसीयत में लिखा था कल 
आज सत्ताधारियों का नाम हो जैसे 

दुश्मनी तो दुश्मनी है क्या कहें उसकी 
यारियाँ गद्दारियों का नाम हो जैसे 

लोग 'भारद्वाज' कहते हों भले जनपथ 
पर वहाँ जरदारियों का नाम हो जैसे  

चंद्रभान भारद्वाज   

5 comments:

नीरज गोस्वामी said...

भारद्वाज जी सादर नमन...एक से बढ़ कर एक कमाल के अशआरों से सजी आपकी ये ग़ज़ल बेजोड़ है...अब किस शेर की तारीफ़ करूँ और किसको छोडूँ क्यूँ की सब के सब शेर बेहद खूबसूरत हैं...
लगभग इसी काफिये के साथ एक ग़ज़ल मैंने भी अपने ब्लॉग पर कहने की कोशिश की है आप पढ़ कर यदि आशीर्वाद देंगे तो अच्छा लगेगा...

नीरज

vandana gupta said...

behad khoobsoorat sheron se saji gazal........gazab kar diya.

arvind said...

नाम अपना भी वसीयत में लिखा था कल
आज सत्ताधारियों का नाम हो जैसे

दुश्मनी तो दुश्मनी है क्या कहें उसकी
यारियाँ गद्दारियों का नाम हो जैसे
-------bahut badhiya.भारद्वाज जी सादर नमन...

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

श्रद्धेय भारद्वाज जी प्रणाम
सभी लाजवाब शेर..

पेड़ अब होने लगा है छाँह के काबिल
पर तने पर आरियों का नाम हो जैसे

दुश्मनी तो दुश्मनी है क्या कहें उसकी
यारियाँ गद्दारियों का नाम हो जैसे

...ये मेरी खास पसंद

kshama said...

फूस पर चिनगारियों का नाम हो जैसे
ज़िन्दगी दुश्वारियों का नाम हो जैसे

पेड़ अब होने लगा है छाँह के काबिल
पर तने पर आरियों का नाम हो जैसे

आह आँसू करवटें तड़पन प्रतीक्षाएं
प्यार ही सिसकारियों का नाम हो जैसे
Wah..kya baat hai!