Thursday, February 25, 2010

ज़िन्दगी फुलवारियों का नाम हो जैसे

होंठ पर किलकारियों का नाम हो जैसे
ज़िन्दगी फुलवारियों का नाम हो जैसे

मन भिगोया तन भिगोया आत्मा भीगी
प्यार ही पिचकारियों का नाम हो जैसे

आस के  अंकुर उगे कुछ कोपलें फूटीं
स्वप्न कोई क्यारियों का नाम हो जैसे

बाँटती फिरती हँसी को और खुशियों को
उम्र  जीती  पारियों   का नाम   हो  जैसे 

टांक  कर रक्खीं  ह्रदय में सब मधुर यादें
मन सजी गुलकारियों का नाम हो जैसे

वो बसे जब से हमारे गाँव में आकर 
हर गली गुलजारियों का नाम हो जैसे 
 
ज्ञान  'भारद्वाज'  बैठा  भूलकर  उद्धव 
ध्यान में वृज-नारियों का नाम हो जैसे

चंद्रभान भारद्वाज

5 comments:

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

श्रद्धेय भारद्वाज जी, सादर प्रणाम
हर शेर....गहरा असर छोड़ गया है.....
होंठ पर किलकारियों का नाम हो जैसे
ज़िन्दगी फुलवारियों का नाम हो जैसे
*****************************
बाँटती फिरती हँसी को और खुशियों को
उम्र जीती पारियों का नाम हो जैसे
.......................................
आह आँसू करवटें तड़पन प्रतीक्षाएँ
प्यार भी सिसकारियों का नाम हो जैसे
नोट करके रख लिये हैं ये दो शेर...

कडुवासच said...

मन भिगोया तन भिगोया आत्मा भीगी
प्यार ही पिचकारियों का नाम हो जैसे
....बहुत सुन्दर !!!

नीरज गोस्वामी said...

टांक कर रक्खीं ह्रदय में सब मधुर यादें
मन सजी गुलकारियों का नाम हो जैसे

आदरणीय भारद्वाज जी नमन है आपकी लेखनी को...क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है...सुभान अल्लाह...वाह...सारे शेर कमाल के हैं...दाद कबूल करें.
नीरज

chandrabhan bhardwaj said...

निम्नलिखित शेर इस गज़ल के मिज़ाज़ से अलग लगता था

आह आँसू करवटें तड़पन प्रतीक्षाऐं
प्यार भी सिसकारियों का नाम हो जैसे

अतः इसको बदल कर दूसरा शेर जोड़ दिया है ताकि गज़ल
का मिज़ाज़ बरकरार रहे।

वो बसे जब से हमारे गाँव में आकर
हर गली गुलजारियों का नाम हो जैसे

सिद्धार्थ प्रियदर्शी said...

आदरणीय भारद्वाज जी !
बहुत ही बेहतरीन गज़ल....

टांक कर रक्खीं ह्रदय में सब मधुर यादें
मन सजी गुलकारियों का नाम हो जैसे