होंठ पर किलकारियों का नाम हो जैसे
ज़िन्दगी फुलवारियों का नाम हो जैसे
मन भिगोया तन भिगोया आत्मा भीगी
प्यार ही पिचकारियों का नाम हो जैसे
आस के अंकुर उगे कुछ कोपलें फूटीं
स्वप्न कोई क्यारियों का नाम हो जैसे
बाँटती फिरती हँसी को और खुशियों को
उम्र जीती पारियों का नाम हो जैसे
टांक कर रक्खीं ह्रदय में सब मधुर यादें
मन सजी गुलकारियों का नाम हो जैसे
वो बसे जब से हमारे गाँव में आकर
हर गली गुलजारियों का नाम हो जैसे
ज्ञान 'भारद्वाज' बैठा भूलकर उद्धव
ध्यान में वृज-नारियों का नाम हो जैसे
चंद्रभान भारद्वाज
Thursday, February 25, 2010
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5 comments:
श्रद्धेय भारद्वाज जी, सादर प्रणाम
हर शेर....गहरा असर छोड़ गया है.....
होंठ पर किलकारियों का नाम हो जैसे
ज़िन्दगी फुलवारियों का नाम हो जैसे
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बाँटती फिरती हँसी को और खुशियों को
उम्र जीती पारियों का नाम हो जैसे
.......................................
आह आँसू करवटें तड़पन प्रतीक्षाएँ
प्यार भी सिसकारियों का नाम हो जैसे
नोट करके रख लिये हैं ये दो शेर...
मन भिगोया तन भिगोया आत्मा भीगी
प्यार ही पिचकारियों का नाम हो जैसे
....बहुत सुन्दर !!!
टांक कर रक्खीं ह्रदय में सब मधुर यादें
मन सजी गुलकारियों का नाम हो जैसे
आदरणीय भारद्वाज जी नमन है आपकी लेखनी को...क्या खूबसूरत ग़ज़ल कही है...सुभान अल्लाह...वाह...सारे शेर कमाल के हैं...दाद कबूल करें.
नीरज
निम्नलिखित शेर इस गज़ल के मिज़ाज़ से अलग लगता था
आह आँसू करवटें तड़पन प्रतीक्षाऐं
प्यार भी सिसकारियों का नाम हो जैसे
अतः इसको बदल कर दूसरा शेर जोड़ दिया है ताकि गज़ल
का मिज़ाज़ बरकरार रहे।
वो बसे जब से हमारे गाँव में आकर
हर गली गुलजारियों का नाम हो जैसे
आदरणीय भारद्वाज जी !
बहुत ही बेहतरीन गज़ल....
टांक कर रक्खीं ह्रदय में सब मधुर यादें
मन सजी गुलकारियों का नाम हो जैसे
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