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एक आहट आपकी
एक आहट आपकी
धड़कनें दिल की बढाती एक आहट आपकी;
ज़िन्दगी को जगमगाती है सजावट आपकी।
सुर जगाती घुंघरुओं के और थिरकन पांव की,
घोलती दालान में रस गुनगुनाहट आपकी।
कह रही है आज एलोरा अजंता की कथा ,
शिल्प का अद्भुत नमूना है बनावट आपकी।
डूब जाता मन निराशा के तिमिर में जब कभी,
आस की इक लौ जगाती चुलबुलाहट आपकी।
हाल इक टूटे हुए दिल का सुनाने के लिए,
जोहता है एक युग से बाट पनघट आपकी।
मंदिरों के गर्भगृह में घंटियाँ सी बज उठें,
गूंजती माहौल में जब खिलखिलाहट आपकी।
देख कर नज़रें ज़माने की ज़रा निकला करो,
चैन 'भारद्वाज' हरती मुस्कराहट आपकी।
चंद्रभान भारद्वाज
2 comments:
'डूब जाता मन निराशा के तिमिर में……'
सुन्दर!
एक अनुरोध है। यदि कोई विशेष कारण न हो कृपया 'वर्ड वेरीफ़िकेशन' हटा दें।
डूब जाता मन निराशा के तिमिर में जब कभी,
आस की इक लौ जगाती चुलबुलाहट आपकी।
bahut sunder ghazal likhi hai aapne
and...thanks for ur comments on my ghazal too...
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