Sunday, August 10, 2014

द्वेष इंसान को हैवान बना देता है

द्वेष इंसान को हैवान बना देता है
प्रेम शैतान को इंसान बना देता है

जन्म के वक़्त तो इंसान ही होते हैं सभी
धर्म हिंदू कि मुसलमान बना देता है

यों तो बाज़ार में सिंदूर की क्या है कीमत
पर वो पत्थर को भी भगवान बना देता है

जब भी कद पुत्र का छूता है पिता के कंधे
उसके कंधों  को भी बलवान बना देता है

स्वप्न जब आँखों में पलता  है शिखर छूने का
पथ की चट्टान को सोपान बना देता है

घेर लेता है कहीं घोर अँधेरा जब भी
मन की आँखों को वो द्युतिमान बना देता है

मीठी यादों का सदा साथ चबेना रखना
लम्बी राहों को वो आसान बना देता है

माँ की गोदी ही नहीं प्यार भरा चेहरा भी
बेटे के आँसू को मुस्कान बना देता है

है 'भरद्वाज' अगर कोई असरदार ग़ज़ल
उसका इक शेर ही पहचान बना देता है

चंद्रभान भारद्वाज