अजूबा हो गया है
गुनाहों का पुजारी मसीहा हो गया है
सुनी जो उनके कदमों की आहट भी गली में
अँधेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया है
ज़मी के पास आने लगा है आसमाँ खुद
परों पर अपने जबसे भरोसा हो गया है
जलाई ऐसी दिल में किसी ने प्यार की लौ
कि अंधी आँखों मे भी उजाला हो गया है
गिरा है कोई घूँघट बिखेरी हैं कि जुल्फें
हैं रातें चाँदनी पर अँधेरा हो गया है
शगुन सी हो गई है झलक भी एक उनकी
दिखी है जब भी सूरत मन चाहा हो गया है
ज़ुड़ा है ज़िंदगी से कोई 'भारद्वाज' जब से
विरागी ज़िंदगी में इक तमाशा हो गया है
चंद्रभान भारद्वाज
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