Tuesday, May 6, 2014

       अजूबा हो गया है 

निगाहों के असर से अजूबा हो गया है 
गुनाहों का पुजारी मसीहा हो गया है 

सुनी जो उनके कदमों की आहट भी गली में 
अँधेरा तिलमिला कर सवेरा हो गया है 

ज़मी के पास आने लगा है आसमाँ खुद 
परों पर अपने जबसे भरोसा हो गया है 

जलाई ऐसी दिल में किसी ने प्यार की लौ
कि अंधी आँखों मे भी उजाला हो गया है 

गिरा है कोई घूँघट बिखेरी हैं कि जुल्फें 
हैं रातें चाँदनी पर अँधेरा हो गया है 

शगुन सी हो गई है झलक भी एक उनकी 
दिखी है जब भी सूरत मन चाहा हो गया है 

ज़ुड़ा है ज़िंदगी से कोई 'भारद्वाज' जब से 
विरागी ज़िंदगी में इक तमाशा हो गया है 

चंद्रभान भारद्वाज


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