और क्या चाहिए
आन है
शान है और
क्या चाहिए
लोक में
मान है और
क्या चाहिए
सिर को
छत है सुलभ
पेट को रोटियाँ
तन को
परिधान है और
क्या चाहिए
तन तो
बलवान है मन
दयावान है
चित क्षमावान
है और क्या
चाहिए
संग अपने
ज़माना भले ही
न हो
संग भगवान
है और क्या
चाहिए
गाँव के
छोर से देश
के छोर तक
जान पहचान
है और क्या
चाहिए
कोई भूखा
न लौटे कभी
द्वार से
प्रभु का वरदान
है और क्या
चाहिए
यों समस्याएँ
आती रहीं सामने
पर समाधान
है और क्या
चाहिए
घर में
आँगन है चौका
बगीचा भी है
एक दालान
है और क्या
चाहिए
कांति चेहरे पे
खुशियों की छाई
सदा
मुख पे
मुस्कान है और
क्या चाहिए
आप विद्वद्जनों
की सभा में
सहज
सबसे पहचान
है और क्या
चाहिए
जीना अस्सी
बरस तक 'भरद्वाज'
अब
लगता आसान
है और क्या
चाहिए
चंद्रभान भारद्वाज
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