टूटे हुए रिश्तों का कोई हल न मिलेगा
टूटे हुए रिश्तों का कोई हल न मिलेगा
इक प्यार में भीगा हुआ आँचल न मिलेगा
बाँधा हुआ था स्नेह की इक डोर से जिसने
बाँहों के उस घेरे का फिर संबल न मिलेगा
जो ज़िन्दगी की राह में पग पग पे पिया था
उन शरबती आँखों का गंगाजल न मिलेगा
मिलने को तो मिल जाएंगे हमदर्द हजारों
आँखों में उनकी प्यार का काजल न मिलेगा
जिसने कभी अाहुति नहीं दी प्रेम हवन में
उसको प्रसादी का अमर श्रीफल न मिलेगा
आया हुआ हो द्वार पर अवसर न गँवाना
लौटा अगर वो आज तो फिर कल न मिलेगा
परदेश में दौलत तो 'भारद्वाज' मिलेगी
पर छाँह दे वो नीम या पीपल न मिलेगा
चंद्रभान भारद्वाज
टूटे हुए रिश्तों का कोई हल न मिलेगा
इक प्यार में भीगा हुआ आँचल न मिलेगा
बाँधा हुआ था स्नेह की इक डोर से जिसने
बाँहों के उस घेरे का फिर संबल न मिलेगा
जो ज़िन्दगी की राह में पग पग पे पिया था
उन शरबती आँखों का गंगाजल न मिलेगा
मिलने को तो मिल जाएंगे हमदर्द हजारों
आँखों में उनकी प्यार का काजल न मिलेगा
जिसने कभी अाहुति नहीं दी प्रेम हवन में
उसको प्रसादी का अमर श्रीफल न मिलेगा
आया हुआ हो द्वार पर अवसर न गँवाना
लौटा अगर वो आज तो फिर कल न मिलेगा
परदेश में दौलत तो 'भारद्वाज' मिलेगी
पर छाँह दे वो नीम या पीपल न मिलेगा
चंद्रभान भारद्वाज
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