Monday, January 19, 2015

                     चलना छोड़ देंगे क्या              

बिछे हों राह में काँटे तो चलना छोड़ देंगे क्या 
किसी के डर से हम घर से निकलना छोड़ देंगे क्या 

भले बरसात हो आँधी  हो या तूफ़ान हो कोई 
उगे जो क्यारियों में फूल खिलना छोड़ देंगे क्या 

वे अपने मन के राजा हैं उन्हें हक़ है मचलने का 
बड़ों की डांट से बच्चे मचलना छोड़ देंगे क्या 

किसी की चेन झपटी है किसी का पर्स छीना है 
इसी भय से सुबह का हम टहलना छोड़ देंगे क्या 

दिखाई सख़्त देते हैं खड़े जो मोम के पुतले 
मगर वे आग के आगे पिघलना छोड़ देंगे क्या 

उन्हें कितना भी पूजो तुम पिलाओ दूध कितना भी 
मगर वे नाग फन से विष उगलना छोड़ देंगे क्या 

हवाओं की जगह अपनी दियों की है जगह अपनी 
हवा की धमकियों से दीप  जलना छोड़ देंगे क्या 

उन्हें मालूम है पत्थर मिलेंगे फल के आने पर 
वे आमों इमलियों के पेड़ फलना छोड़ देंगे क्या 

नियत निश दिन है 'भारद्वाज'उगना चाँद सूरज का 
 किसी दिन  राहु के भय से निकलना छोड़ देंगे क्या 

चंद्रभान भारद्वाज       

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