Tuesday, April 6, 2010

उनकी नज़र में खास बन जाते

तमन्ना थी कि हम उनकी नज़र में खास बन जाते 
कभी   उनके   लिए   धरती   कभी आकाश बन जाते 

अगर वे  प्यास  होते तो ह्रदय  की तृप्ति  बनते हम 
अगर वे तृप्ति होते तो अधर की प्यास बन जाते

समय की चोट से आहत ह्रदय यदि टूटता उनका 
परम विश्वास   बनते या  चरम उल्लास  बन   जाते 

भिगोती जब किसी की याद पलकों के किनारों को 
उमड़ते  प्यार  में   डूबा  हुआ   अहसास  बन   जाते 

समय की चाल पर जो ज़िन्दगी की हारते बाजी 
जिताने के लिए उनको तुरुप का ताश बन जाते 

पड़े होते अगर वीरान में बनकर कहीं पत्थर 
वहाँ हर ओर उनके हम मुलायम घास बन जाते 

दिखाई हर तरफ उनको ये 'भारद्वाज' ही देता 
बिठा कर केंद्र में उनको परिधि या व्यास बन जाते 

चंद्रभान भारद्वाज

8 comments:

इस्मत ज़ैदी said...

आदाब अर्ज़ है,

तमन्ना थी कि हम उनकी नज़र में खास बन जाते
कभी उनके लिए धरती कभी आकाश बन जाते

समय की चोट से आहत ह्रदय यदि टूटता उनका
परम विश्वास बनते या चरम उल्लास बन जाते

एक ख़ूब्सूरत एह्सास को ख़ूब्सूरती से अश’आर में ढाल दिया है आप ने
बहुत ख़ूब!

सीमा सचदेव said...

दिखाई हर तरफ उनको ये 'भारद्वाज' ही देता
बिठा कर केंद्र में उनको परिधि या व्यास बन जाते
achcha hai...

arvind said...

कभी उनके लिए धरती कभी आकाश बन जाते ....बहुत ख़ूब!

RAJNISH PARIHAR said...

बहुत बढ़िया रचना..!आपकी कुच्छ और ग़ज़लों की प्रतीक्षा रहेगी...

vandana gupta said...

sir
is gazal ki in shabdon mein tarif karoon...........lagta hai shabd dhoondhkar lane padenge...........har sher na jaane hriday ki kin gahraiyon se nikla hai.........aapki lekhni ne to kamaal kar diya...........amazing.

Narendra Vyas said...

प्रणाम श्रद्धेय श्री भरद्वाज जी
अंतर्मन की भावनाओं के बहुत ही सुन्दर चित्र उकेरे है आपने.| खास कर ये पंक्तियाँ बेहद अच्छी लगी..
पड़े होते अगर वीरान में बनकर कहीं पत्थर
वहाँ हर ओर उनके हम मुलायम घास बन जाते

दिखाई हर तरफ उनको ये 'भारद्वाज' ही देता
बिठा कर केंद्र में उनको परिधि या व्यास बन जाते

आपका बेहद आभार इतनी उम्दा अंतर्भावानाओं से सजी रचना से रूबरू करवाने के लिए
प्रणाम !

Rajeysha said...

गजल कहने में तो आप खास हो ही गये हैं, और मजा आता है जब शेर अनायास बन जाते।

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

भिगोती जब किसी की याद पलकों के किनारों को
उमड़ते प्यार में डूबा हुआ अहसास बन जाते
हर शेर मैयारी है.....ये खास तौर पर अच्छा लगा.