Thursday, March 28, 2019

              दामन बचा बचा के

कर दी खड़ी कँटीली बागड़  उगा उगा के
अब राह अपनी चलना दामन बचा बचा के

जो नोट दिख रहे थे कल तक नए चलन में
रक्खे तिजौरियों में अब सब छुपा छुपा के

घेरे हुई थी थाना जो न्याय माँगने को
उस भीड़ को पुलिस ने मारा भगा भगा के  

जो सिर्फ चापलूसी के दम पे जी रहे थे 
रोगी हुए कमर के उसको झुका झुका के 

मंचों पे बैठ के तो उपवास करते रहते 
खाते हैं पर गुलगुले नजरें बचा बचा के 

ऐलान कर रहे हैं फिर से धमाल करने 
पत्ता बनारसी अब मुँह में चबा चबा के 

मंचों के सामने जो ये भीड़ दिख रही है 
एकत्र की गई है बंदर नचा नचा के 

सींवन कहीं उधड़ती या चैन टूटती है 
भरते हैं बैग में जब चीजें दबा दबा के

बचता है वक्त अपना बचती है शक्ति अपनी 
जब 'भारद्वाज ' रखते हैं घर जमा जमा के 

चंद्रभान भारद्वाज 









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