Monday, February 15, 2016

पत्थर बना दिया कभी हीरा बना दिया 
तेरी निगाह ने मुझे क्या क्या बना दिया 

मैं था समय के चाक  पर गूँथी  हुई मिटटी 
तुमने छुआ तो प्यार का दीया बना दिया 

जो सामने कठिनाइयों का इक पहाड़ था  
मैंने पहाड़ खोद के रस्ता बना दिया 

यों  तो ज़माने ने मुझे आँसू  बहुत दिए 
उन आँसुओं को पर मैंने लावा बना दिया 

यह सिर्फ मेरी माँ के आँचल का कमाल था 
उसके दुलार ने मुझे राजा बना दिया 

जो  दो दिलों की धड़कनों का मेल था सरल 
उस प्यार को तलवार का मुद्दा बना दिया 

अपने लिए मंदिर वही मस्जिद वही गिरजा
अब 'भारद्वाज' प्यार को पूजा बना दिया 

चंद्रभान भारद्वाज  

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