खुशी देखते हैं
गुणीजन ग़मों में खुशी देखते हैं
मरण में नई ज़िन्दगी देखते हैं
कहानी कभी कोई घटती है ऐसी
पलों में ही पूरी सदी देखते हैं
पनपता है जब आस का बीज कोई
मरुस्थल में बहती नदी देखते हैं
अचानक जनमता है वैराग्य मन में
चिता जब भी कोई जली देखते हैं
महावीर बनते कि वे बुद्ध बनते
जो वैश्या में भी इक सती देखते हैं
न मतलब हमें मंदिरों मस्जिदों से
हरिक मूर्ती मन में बसी देखते हैं
न होगा 'भरद्वाज' मन स्वच्छ उनका
जो औरों में बस गंदगी देखते हैं
चंद्रभान भारद्वाज
गुणीजन ग़मों में खुशी देखते हैं
मरण में नई ज़िन्दगी देखते हैं
कहानी कभी कोई घटती है ऐसी
पलों में ही पूरी सदी देखते हैं
पनपता है जब आस का बीज कोई
मरुस्थल में बहती नदी देखते हैं
अचानक जनमता है वैराग्य मन में
चिता जब भी कोई जली देखते हैं
महावीर बनते कि वे बुद्ध बनते
जो वैश्या में भी इक सती देखते हैं
न मतलब हमें मंदिरों मस्जिदों से
हरिक मूर्ती मन में बसी देखते हैं
न होगा 'भरद्वाज' मन स्वच्छ उनका
जो औरों में बस गंदगी देखते हैं
चंद्रभान भारद्वाज
No comments:
Post a Comment