Tuesday, April 22, 2014

                       मिले हैं 

हवाले मिले हैं घोटाले मिले हैं
नज़र बंद है मुँह पे ताले मिले हैं

खरीदे हुए हैं सभी ने स्वयं ही
जिन्हें हार श्रीफल दुशाले मिले हैं

बताते हैं वे खुद जुड़े हैं ज़मीं से
न पैरों में मिट्टी न छाले मिले हैं

लगे मस्तकों पे तो चन्दन के टीके
दुपट्टे मगर दाग वाले मिले हैं

चुनावों में देखी है तस्वीर ऐसी
कि मस्जिद से जाकर शिवाले मिले है

हवा रोशनी के लिए थी जो खिड़की
वहाँ सिर्फ मकड़ी के जाले  मिले हैं

'भरद्वाज' कल एक गंगोत्री थी
जहाँ गन्दगी के पनाले मिले हैं

चन्द्रभान भारद्वाज


No comments: