Saturday, November 3, 2012


      ज़िन्दगी बाँट लेंगे 

मिले चाहे गम या ख़ुशी बाँट लेंगे 
चलो संग तो ज़िन्दगी बाँट लेंगे 

न प्यासे रहो तुम न प्यासा रहूँ मैं 
उमंगों की बहती नदी बाँट लेंगे 

न आंधी की चिंता न तूफ़ान का डर 
अँधेरा हो या रोशनी बाँट लेंगे 

करे कौन परवाह अब मौसमों की 
मिले धूप या चांदनी बाँट लेंगे 

उमर फूलती और फलती रहेगी 
पलक पर पिघलती नमी बाँट लेंगे 

किसी बात से भी क्यों मन को दुखाएं 
लगेगी जो अच्छी - भली बाँट लेंगे 

'भरद्वाज' अब देर किस बात की है 
कहो तो सभी कुछ अभी बाँट लेंगे 

चंद्रभान भारद्वाज 

4 comments:

travel ufo said...

अच्छी रचना

संगीता पुरी said...

प्रकृति में कम नहीं है कुछ ..
बांटकर खाए तो ..
बहुत सुंदर

Narendra Mourya said...

चलो संग तो जिंदगी बांट लेंगे, क्या खूब कहा है आपने, बधाई।

Narendra Mourya said...

चलो संग तो जिंदगी बांट लेंगे, क्या खूब कहा है आपने, बधाई।