अनसुना रह जायगा कुछ अनकहा रह जायगा
मैं रहूँ या ना रहूँ मेरा लिखा रह जायगा
वक़्त के आगे नहीं रखता है जो अपने कदम
वक़्त के मलबे के नीचे वह दबा रह जायगा
रुक गया जिस दिन भी अपनी जिंदगानी का बहाव
खार कीचड़ काई या पानी सडा रह जायगा
शब्द में बाँधा नहीं यदि आज के अहसास को
सभ्यता की भीड़ में वह लापता रह जायगा
क्या पता नासूर सा बनकर उभर आएगा कब
बात का काँटा अगर दिल में चुभा रह जायगा
लोग जो जलती मशालों को बुझाने में लगे
एक दिन उनका भी चेहरा बदनुमा रह जायगा
लूटने में लग रहे जब लोग लाशों का कफ़न
कौन नंगों और भूखों के सिवा रह जायगा
डालियों पर गिद्ध बैठे हैं जड़ों में दीमकें
देखना यह पेड़ इक दिन खोखला रह जायगा
बागड़ें खुद खेत को जब रात दिन चट कर रहीं
फिर वहाँ बंजर धरा के और क्या रह जायगा
राज रथ चल कर सड़क से जाएगा संसद तलक
आदमी पहियों के नीचे ही पिसा रह जायगा
क्या करोगे अर्थ 'भारद्वाज' इतना जोड़कर
साथ अरथी जायगी बाकी धरा रह जायगा
चंद्रभान भारद्वाज
मैं रहूँ या ना रहूँ मेरा लिखा रह जायगा
वक़्त के आगे नहीं रखता है जो अपने कदम
वक़्त के मलबे के नीचे वह दबा रह जायगा
रुक गया जिस दिन भी अपनी जिंदगानी का बहाव
खार कीचड़ काई या पानी सडा रह जायगा
शब्द में बाँधा नहीं यदि आज के अहसास को
सभ्यता की भीड़ में वह लापता रह जायगा
क्या पता नासूर सा बनकर उभर आएगा कब
बात का काँटा अगर दिल में चुभा रह जायगा
लोग जो जलती मशालों को बुझाने में लगे
एक दिन उनका भी चेहरा बदनुमा रह जायगा
लूटने में लग रहे जब लोग लाशों का कफ़न
कौन नंगों और भूखों के सिवा रह जायगा
डालियों पर गिद्ध बैठे हैं जड़ों में दीमकें
देखना यह पेड़ इक दिन खोखला रह जायगा
बागड़ें खुद खेत को जब रात दिन चट कर रहीं
फिर वहाँ बंजर धरा के और क्या रह जायगा
राज रथ चल कर सड़क से जाएगा संसद तलक
आदमी पहियों के नीचे ही पिसा रह जायगा
क्या करोगे अर्थ 'भारद्वाज' इतना जोड़कर
साथ अरथी जायगी बाकी धरा रह जायगा
चंद्रभान भारद्वाज
6 comments:
रुक गया जिस दिन भी अपनी जिंदगानी का बहाव
खार कीचड़ काई या पानी सडा रह जायगा
सार्थक और सटीक रचना ..
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
सुन्दर प्रस्तुति!
हर एक पंक्ति अनुभव और गंभीर मंथन की कथा कहती है!
वाह....सार्थक रचना
नीरज
अनसुना रह जायगा कुछ अनकहा रह जायगा
मैं रहूँ या ना रहूँ मेरा लिखा रह जायगा
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ...... आभार
नीरज जी
अच्छी ग़ज़ल......
शब्द में बाँधा नहीं यदि आज के अहसास को
सभ्यता की भीड़ में वह लापता रह जायगा
और इस शेर के क्या कहने..... अद्भुत !!
डालियों पर गिद्ध बैठे हैं जड़ों में दीमकें
देखना यह पेड़ इक दिन खोखला रह जायगा
इस शेर की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम .... दाद क़ुबूल फरमाएं
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