Wednesday, November 2, 2011

और क्या चाहिए

राह है वाह  है और क्या चाहिए 
प्यार हमराह है और क्या चाहिए 

दूर है पर किसी दिल में तेरे लिए 
प्यार की चाह है और क्या चाहिए 

प्यार विश्वास है आस है प्यास है 
दर्द है आह है और क्या चाहिए 

आँख में तो प्रतीक्षा रही प्यार की 
दिल में परवाह है और क्या चाहिए 

गोपियाँ नाँचतीं गायें चरतीं जहाँ 
वह चरागाह है और क्या चाहिए 

प्यार मंदिर है मस्जिद है गिरजा तो है 
एक दरगाह है और क्या चाहिए

प्यार ही राम है प्यार ईसा मसीह 
प्यार अल्लाह है और क्या चाहिए 

प्यार उन्माद है प्यार आल्हाद है 
प्यार उत्साह है और क्या चाहिए 

जिसका अबतक कहीं तल मिला ही नहीं 
प्यार बेथाह है और क्या चाहिए 

प्यार झुकता नहीं प्यार डरता नहीं 
खुद शहंशाह है और क्या चाहिए 

नाव जर्जर हवा तेज मझधार हो 
प्यार मल्लाह है और क्या चाहिए 

प्यार पिचकारियाँ मस्तियाँ शोखियाँ 
फागुनी माह है और क्या चाहिए 

प्यार ढलता ग़ज़ल में 'भरद्वाज' जब 
वाह ही वाह है और क्या चाहिए  


चंद्रभान भारद्वाज 

4 comments:

vandana gupta said...

वाह बहुत सुन्दर चित्रण किया है।

संगीता पुरी said...

प्यार पिचकारियाँ मस्तियाँ शोखियाँ
फागुनी माह है और क्या चाहिए

प्यार ढलता ग़ज़ल में 'भरद्वाज' जब
वाह ही वाह है और क्या चाहिए

बहुत खूब !!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्यार उन्माद है प्यार आल्हाद है
प्यार उत्साह है और क्या चाहिए

जिसका अबतक कहीं तल मिला ही नहीं
प्यार बेथाह है और क्या चाहिए

बहुत सुन्दर ...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

गोपियाँ नाँचतीं गायें चरतीं जहाँ
वह चरागाह है और क्या चाहिए
बहुत सुन्दर ...