थोड़ा सम्मान बहुत होता है
मान का पान बहुत होता है
मृत्यु के बाद भले हो मिट्टी
देह का दान बहुत होता है
भेंट का मोल न आँका जाता
मुट्ठी भर धान बहुत होता है
लोग पाते हैं सफलता थोड़ी
उसका अभिमान बहुत होता है
भेद दीवार परे लेने को
सिर्फ इक कान बहुत होता है
टालने कोई बड़ी दुर्घटना
थोड़ा सा ध्यान बहुत होता है
पढ़ के अखबार अदालत लेले
कोई संज्ञान बहुत होता है
प्यार का पाठ बहुत है मुश्किल
इसमें इम्तिहान बहुत होता है
ज़िन्दगी मिलती है 'भारद्वाज' तनिक
साजो-सामान बहुत होता है
चंद्रभान भारद्वाज
Saturday, January 8, 2011
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4 comments:
प्यार का पाठ बहुत है मुश्किल
इसमें इम्तिहान बहुत होता है
ज़िन्दगी के पाठ पढ़ाती शशक्त गज़ल...दाद कबूल करें
नीरज
आदरणीय चंद्रभान भारद्वाज जी
प्रणाम !
नव वर्ष के उपहार में बहुत अच्छी ग़ज़ल के लिए आभार !
भेंट का मोल न आँका जाता
मुट्ठी भर धान बहुत होता है
वाह !
पूरी ग़ज़ल के लिए आभार और साधुवाद !
~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
'लोग पाते हैं सफलता थोड़ी
उसका अभिमान बहुत होता है'
'प्यार का पाठ बहुत है मुश्किल
इसमें इम्तिहान बहुत होता है'
वाह वाह
बहुत खूब ...क्या बात है
बढ़िया ग़ज़ल ..बहुत पसंद आई
बधाई
आभार
भेंट का मोल न आँका जाता
मुट्ठी भर धान बहुत होता है
bahut lajabab pangtiyan hain.
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