चाहे अवलंबन न देना
पर अकेलापन न देना
आग सा जलता रहेगा
प्रिय बिना यौवन न देना
भीख माँगे मृत्यु से जो
वह विवश जीवन न देना
एक पत्थर के ह्रदय में
प्यार की धड़कन न देना
रूप को अपरूप कर दे
धुंध में दर्पण न देना
माँग में सिन्दूर के बिन
चूड़ियाँ कंगन न देना
नित्य 'भारद्वाज' बिलखे
माँ बिना बचपन न देना
चंद्रभान भारद्वाज
Friday, October 22, 2010
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4 comments:
hrudaysparshee rachna pooree ghazal men ek udaasee kaa ehsaas hai
आग सा जलता रहेगा
प्रिय बिना यौवन न देना
भीख माँगे मृत्यु से जो
वह विवश जीवन न देना
लाजवाब शेर...बेहतरीन गज़ल..वाह...दाद कबूल करें...
नीरज
भीख माँगे मृत्यु से जो
वह विवश जीवन न देना
एक पत्थर के ह्रदय में
प्यार की धड़कन न देना
वाह लाजवाब गज़ल है। बधाई।
एक पत्थर के ह्रदय में
प्यार की धड़कन न देना
रूप को अपरूप कर दे
धुंध में दर्पण न देना
बहुत खूब!
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