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सुंदर दिखाई दे
हों बंद पलकें रोशनी भीतर दिखाई दे;
तो ज़िन्दगी कुछ और भी सुंदर दिखाई दे।
जब आदमी की आस्था विश्वास तक पहुंचे,
तो राह का कंकर दया शंकर दिखाई दे।
अनमोल होगा जौहरी की आँख में हीरा,
फक्कड़ फकीरी आँख को पत्थर दिखाई दे।
जब पोंछते हैं धूल मन के बंद दर्पण की,
अंदर रहा जैसा वही बाहर दिखाई दे।
हों बंद सारे रास्ते सब द्वार सब खिड़की,
खुलता क्षितिज के पार कोई दर दिखाई दे।
जब सिर झुकाता हूँ टंगी तस्वीर के आगे,
माँ में बसा मुझको सदा ईश्वर दिखाई दे।
आंजा हुआ है आँख में वह प्यार का अंजन,
हर ओर 'भारद्वाज' को प्रियवर दिखाई दे।
चंद्रभान भारद्वाज
6 comments:
हों बंद सारे रास्ते सब द्वार सब खिड़की,
खुलता क्षितिज के पार कोई दर दिखाई दे।
जब सिर झुकाता हूँ टंगी तस्वीर के आगे,
माँ में बसा मुझको सदा ईश्वर दिखाई दे।
behad khubsurat
जब सिर झुकाता हूँ टंगी तस्वीर के आगे,
माँ में बसा मुझको सदा ईश्वर दिखाई दे।
kya kahne is she'r ke khamoosh rahun wahi behtar hai... maa ke baare me kya bhale kahe koi... wo to ishwar se bhi upar hai...
dhero abhaar aapka aisa she'r padhwaane ke liye..
arsh
अनमोल होगा जौहरी की आँख में हीरा,
फक्कड़ फकीरी आँख को पत्थर दिखाई दे।
लाजवाब शेर कहा है आपने...पूरी ग़ज़ल ही कमाल कही है...वाह...
नीरज
ओहोहोओ सार...क्या खूब...एकदम नया अंदाज़..."जब आदमी की आस्था विश्वास तक पहुंचे/तो राह का कंकर दया शंकर दिखाई दे" अद्भुत शेर है ये सर...और मक्ते का अंदाज़े-बयां भी ...
सलाम सर इस बेहतरीन ग़ज़ल पर
हों बंद पलकें रोशनी भीतर दिखाई दे;
तो ज़िन्दगी कुछ और भी सुंदर दिखाई दे।
जब आदमी की आस्था विश्वास तक पहुंचे,
तो राह का कंकर दया शंकर दिखाई दे।
लाजवाब शेर ...!!
Bhai Mehek, Arsh,Neeraj Goswami, Gautam Rajrishi, Harkeerat Haqeer,
Sabka Hardikrup se aabhari hoon. Apki tippadiyan pad kar bahut utsahit hota hoon aur mujhe aage likhane ke liye protsahan milata hai.Punah dhanyawad sahit,
Chandrabhan Bhardwaj
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