चल दिया कोई सपने दिखा प्यार के;
सूझता है न अब कुछ सिवा प्यार के।
आह आंसू तड़प हिचकियाँ सिसकियाँ,
दर्द बदले में केवल मिला प्यार के।
क्यों न जाने ज़माने की बदली नज़र,
जबसे खुद को हवाले किया प्यार के।
मोतियों की लड़ॊं से सजी हो भले,
अर्थ क्या ज़िन्दगी का बिना प्यार के।
अर्थ क्या ज़िन्दगी का बिना प्यार के।
3 comments:
बहुत खूबसूरत रचना बधाई
बहुत उम्दा!!
बहुत बढिया..शानदार..खूबसूरत...सुंदर भावों से लबालब है..आपकी ये पोस्ट...
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