Monday, June 20, 2016



        यार मिलना है कठिन

 आज दुश्मन तो मिलेंगे यार मिलना है कठिन
मन भरा हो यदि घृणा से प्यार मिलना है कठिन

हर कदम पर चक्रव्यूहों से घिरा जीवन यहाँ
यदि गये अंदर निकासी द्वार मिलना है कठिन

चुभ गया था राह चलते चलते नंगे पाँव में
टीसता है पर वो टूटा खार मिलना है कठिन 

आप यदि इस वक़्त के हाथों की कठपुतली बने
आप  को मन का कोई किरदार मिलना है कठिन

पीटना पड़ता ढिंढोरा अपनी हर उपलब्धि का
वरना श्रीफल शाल या इक हार मिलना है कठिन

भूल बैठी है अगर कोई आँख सपना देखना
कल्पना को फिर कोई आकार मिलना है कठिन

जो उजाले या अंधेरे में अंतर  कर सके
बंधु ऐसी दृष्टि को उजियार मिलना है कठिन

रुख़ हवाओं का बिना देखे उतरतीं धार में
ऐसी नावों को सहज ही पार मिलना है कठिन

यदि पहुँच पाए नहीं उठने से पहले तक वहाँ
आठ दिन से पहले फिर बाज़ार मिलना है कठिन

जल्दबाज़ी में सुबह पूरा पढ़ पाए जिसे
शाम तक वह अधपढ़ा अख़बार मिलना है कठिन

जी रही मुश्किल में 'भारद्वाज' पीढ़ी आज की

नौकरी मिलती नहीं व्यापार मिलना है कठिन

चंद्रभान भारद्वाज 


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