Tuesday, April 17, 2018



             प्रार्थनाएं शेष हैं


कामनाएं शेष हैं कुछ लालसाएं शेष है
अंत में जीवन के केवल प्रार्थनाएं शेष हैं 


ऊर्जा सारी हुई है व्यय जगत जंजाल में
शब्द हैं अब मौन होठों पर व्यथाएं शेष हैं


मन का मृग तो अब तलक ऊँची कुलाँचें भर रहा
तन की गाडी खींचने को बस दवाएं शेष हैं


तेल प्राणों के दिये का चुक रहा है रात दिन
साँस की कुछ अधजली सी वर्तिकाएं शेष हैं


जो भी जीवन ने कमाया मृत्यु ने छीना  सभी
कुछ प्रशंसाएं कि कुछ आलोचनाएं शेष हैं


हो गए हैं आजकल वे बंद कारागार में
कुर्सियों पर किंतु उनकी पादुकाएं शेष हैं


तोड़ डाली हैं भले ही पत्थरों की मूर्तयाँ
पर समय के वक्ष पर उनकी कथाएं शेष हैं


खींच कर जाता है लक्ष्मण नित्य रेखा द्वार पर
फिर भी सीता हरण की संभावनाएं शेष हैं


तम तो भारद्वाज चारों ओर गहराया हुआ
सूर्य पर खग्रास की कुछ यातनाएं शेष हैं


                              चंद्रभान भारद्वाज
                      672, साँई कृपा काॅलोनी
                        बाॅम्बे हास्पीटल के पास
                            इंदौर म  प्र 452010
                           मो  9826025016




                 अपनी नागरी अच्छी लगी 


 मधुकरी अच्छी लगी यायावरी अच्छी लगी    

 बात बस सीधी सरल सच्ची खरी अच्छी लगी


 स्वर्ण से मंडित सुसज्जित अप्सरा के सामने   

 गाॅव की मिट्टी से लथपथ सुंदरीअच्छी लगी


 द्वार तक आया हुआ खारा समुंदर छोड़ कर   

 प्रेम से परिपूर्ण मधुरस गागरी अच्छी लगी


 रूप में अभिमान हो तो कोई आकर्षण नहीं   

 प्रिय समर्पित पर सलोनी सांवरी अच्छी लगी


आँधियों में भी तने के साथ जो लिपटी रही     

 वह स्वकीया नायिका सी वल्लरी अच्छी लगी 

  
 फ्रीज की बासी मसालेदार सब्जी की जगह   

 खेत से लाई तरो ताजा हरी अच्छी लगी


 बाहुबल धनबल कि छलबल से बिकीं सब कुर्सियां 

  पर तमाशा देखने हमको दरी अच्छी लगी


  काफिया जांचे बहर परखी गजलियत देखली

  शेरगोई में सहज कारीगरी अच्छी लगी


  है कठिन इसके भरोसे उच्च वेतन उच्च पद  

  फिर भी 'भारद्वाज' अपनी नागरी अच्छी लगी


                                  चंन्द्रभान भारद्वाज