Tuesday, April 17, 2018
अपनी नागरी अच्छी लगी
मधुकरी अच्छी लगी यायावरी अच्छी लगी
बात बस सीधी सरल सच्ची खरी अच्छी लगी
स्वर्ण से मंडित सुसज्जित अप्सरा के सामने
गाॅव की मिट्टी से लथपथ सुंदरीअच्छी लगी
द्वार तक आया हुआ खारा समुंदर छोड़ कर
प्रेम से परिपूर्ण मधुरस गागरी अच्छी लगी
रूप में अभिमान हो तो कोई आकर्षण नहीं
प्रिय समर्पित पर सलोनी सांवरी अच्छी लगी
आँधियों में भी तने के साथ जो लिपटी रही
वह स्वकीया नायिका सी वल्लरी अच्छी लगी
फ्रीज की बासी मसालेदार सब्जी की जगह
खेत से लाई तरो ताजा हरी अच्छी लगी
बाहुबल धनबल कि छलबल से बिकीं सब कुर्सियां
पर तमाशा देखने हमको दरी अच्छी लगी
काफिया जांचे बहर परखी गजलियत देखली
शेरगोई में सहज कारीगरी अच्छी लगी
है कठिन इसके भरोसे उच्च वेतन उच्च पद
फिर भी 'भारद्वाज' अपनी नागरी अच्छी लगी
चंन्द्रभान भारद्वाज
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