Thursday, March 28, 2019

              दामन बचा बचा के

कर दी खड़ी कँटीली बागड़  उगा उगा के
अब राह अपनी चलना दामन बचा बचा के

जो नोट दिख रहे थे कल तक नए चलन में
रक्खे तिजौरियों में अब सब छुपा छुपा के

घेरे हुई थी थाना जो न्याय माँगने को
उस भीड़ को पुलिस ने मारा भगा भगा के  

जो सिर्फ चापलूसी के दम पे जी रहे थे 
रोगी हुए कमर के उसको झुका झुका के 

मंचों पे बैठ के तो उपवास करते रहते 
खाते हैं पर गुलगुले नजरें बचा बचा के 

ऐलान कर रहे हैं फिर से धमाल करने 
पत्ता बनारसी अब मुँह में चबा चबा के 

मंचों के सामने जो ये भीड़ दिख रही है 
एकत्र की गई है बंदर नचा नचा के 

सींवन कहीं उधड़ती या चैन टूटती है 
भरते हैं बैग में जब चीजें दबा दबा के

बचता है वक्त अपना बचती है शक्ति अपनी 
जब 'भारद्वाज ' रखते हैं घर जमा जमा के 

चंद्रभान भारद्वाज 









Saturday, March 23, 2019

                     नाज है तो है

हमारे प्यार पर हमको अगर कुछ नाज है तो है
हमारी भी निगाहों में कहीं मुमताज है तो है

दिया बनकर जले दिन-रात उसकी मूर्ति के आगे
ये अपने सूफियाना प्यार का अंदाज है तो है

जमाने के लिए राजा रहे हम अपनी मर्जी के
हमारे दिल पे पर इक नाजनी का राज है तो है

उमर इक खूबसूरत मोड़ पर दिल छोड़ आई थी
धड़कनों में उसी की गूँजती आवाज है तो है

हमारा प्यार उठती हाट का सौदा नहीं कोई
बँधे अनुबंध में दुनिया भले नाराज है तो है

खुली है ज़िंदगी अपनी कहीं पर्दा नहीं कोई
अँगूठी में जड़ा उसका दिया पुखराज है तो है

हमारे प्यार का आधार बालू का घरोंदा था
हमारी आँख में वह आज तक भी ताज है तो है

फुदकती ही रही हरदम हमारे प्यार की बुलबुल
जमाने का हरिक सैय्याद तीरंदाज है तो है

अभी तक पढ़ रहे हैं बस रदीफ़ों काफियों को हम
ग़ज़ल में पर हमारा नाम 'भरद्वाज़ है तो है

चंद्रभान भारद्वाज 

Wednesday, March 20, 2019

     

        सफर अपना सुहाना हो गया 


वक्र ग्रह सीधे हुए विनयी ज़माना हो गया 
उसके मिलने से सफर अपना सुहाना हो गया


चाँद सूरज और तारे संग अपने हो गए 

जबसे अपने संग उसका आना जाना हो गया 



जब अचानक हो गई उसकी नजर मेरी तरफ 

तब से मैं दुनिया की नज़रों का निशाना हो गया 



जन्म से थे यार हम तो आदी तपती धूप के 

अपने सिर पर हाथ उसका शामियाना हो गया 



शब्द-चित्रों में सँजोए उसकी यादों के प्रहर 

लगता अपने नाम कारूँ का खजाना हो गया 



भर उड़ानें पार कर दीं हमने जलती सरहदें 

अपने ऊँचे हौसलों का आजमाना हो गया 



तेज गति से वक्त 'भारद्वाज ' सरपट भग रहा  

अपना पोता अपने से ज्यादा सयाना हो गया 



चंद्रभान भारद्वाज 



Thursday, March 7, 2019

हंसों के मन में बेईमानी

 
घर कर गई है हंसों के मन में बेईमानी 

करते नहीं अलग अब वे दूध और पानी 


डाली जड़ों में जब से कुछ खाद यूरिया की 

फूली तो है बहुत पर महके न रातरानी 


कुछ डाल के वो पत्ते जो डाल से जुड़े हैं 

आँधी की कोई धमकी उनने कभी न मानी 


वैसे तो सब रियासत पहले ही मिट गई थीं 

पैदा हुए नए अब कुछ राजा और रानी 


बस जोड़ तोड़ का है अब खेल यह सियासत 

गठबंधनों का अड्डा है आज राजधानी 


जब बोझ हद से ज्यादा गाड़ी पे लद रहा हो 

तो चाल होती धीमी या टूटती कमानी 


हैं 'भारद्वाज ' ऐसे भी हीरे कुछ ग़ज़ल में 

कल था न जिनका सानी अब भी न उनका सानी 


चंद्रभान भारद्वाज