Monday, December 30, 2019

सरल सा हल नहीं मिलता

किसी को जल नहीं मिलता किसी को थल नहीं मिलता
ये जीवन भिन्न है टेढ़ी सरल सा हल नहीं मिलता

जगत को बाँटने में रिक्त की गंगाजली जिसने
स्वयं की मौत पर उसको ही गंगाजल नहीं मिलता

लगी है आग नफरत की धुआँ हर ओर फैला है
बुझाने आग को अब प्यार का दमकल नहीं मिलता

यहाँ जब माँगते हैं धूप तो उगता नहीं सूरज
अगर हम मांगते पानी कहीं बादल नहीं मिलता

मियां क्यों छानते हो खाक नाहक़ उस इमारत में
फटे टाटों के इक गोदाम में मखमल नहीं मिलता 

कहीं इफरात के कारण अपच से पेट रोगी है
कहीं बच्चों के भूखे पेट को चावल नहीं मिलता 

किसी ने फाड़ कर टुकड़ा कभी बाँधा था घावों पर
तलाशा उम्र भर वह रेशमी आँचल नहीं मिलता 

मिलन की आस में जब बैठती श्रृंगार करने वो
कभी बिंदी नहीं मिलती कभी काजल नहीं मिलता

अधजली लाश भारद्वाज बिन पहचान रह जाती
अगर झाड़ी में उसके कान का कुण्डल नहीं मिलता

चंद्रभान भारद्वाज