Thursday, September 19, 2019

               वाहवाही भी यहाँ

है गरीबी भी यहाँ तो राजशाही भी यहाँ
आह होठों पर रही तो वाहवाही भी यहाँ

इक तरफ उँगली के इक संकेत पर सुविधा सभी
इक तरफ जीवन को पग पग पर तबाही भी यहाँ

बोलने का और लिखने का तो हक़ है आपको
कुर्सियों की पर खिलाफत की मनाही भी यहाँ

देखने में लग रहा है इक बड़ा जनतंत्र है
अनदिखी लेकिन रही है तानाशाही भी यहाँ

सत्य फाँसी पर टँगा है इक गवाही के बिना
झूठ ने लेकिन खरीदी हर गवाही भी यहाँ

कर वसूली का प्रजा से राज्य को अधिकार है
नोंक पर बंदूक की होती उगाही भी यहाँ

खेल कर खुद जान पर कुछ कर्म अपना कर रहे
और कुछ कर्तव्य में करते कोताही भी यहाँ

ज़िंदगी में रोप जाना एक पौधा प्यार का
छाँह में ठहरे जहाँ पंछी भी राही भी यहाँ

देह 'भारद्वाज ' इक दिन पंचतत्वों में मिले
आत्मा की रहती है पर आवाजाही भी यहाँ

चंद्रभान भारद्वाज