Monday, June 20, 2016


     और क्या चाहिए

आन है शान है और क्या चाहिए
लोक में मान है और क्या चाहिए

सिर को छत है सुलभ पेट को रोटियाँ
तन को परिधान है और क्या चाहिए

तन तो बलवान है मन दयावान है
चित क्षमावान है और क्या चाहिए

संग अपने ज़माना भले ही हो
संग भगवान है और क्या चाहिए

गाँव के छोर से देश के छोर तक
जान पहचान है और क्या चाहिए

कोई भूखा लौटे कभी द्वार से
प्रभु का वरदान है और क्या चाहिए

यों समस्याएँ आती रहीं सामने
पर समाधान है और क्या चाहिए

घर में आँगन है चौका बगीचा भी है
एक दालान है और क्या चाहिए

कांति चेहरे पे खुशियों की छाई सदा
मुख पे मुस्कान है और क्या चाहिए

आप विद्वद्जनों की सभा में सहज
सबसे पहचान है और क्या चाहिए

जीना अस्सी बरस तक 'भरद्वाज' अब

लगता आसान है और क्या चाहिए   

चंद्रभान भारद्वाज 


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