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नाज है तो है
हमारे प्यार पर हमको अगर कुछ नाज है तो है
हमारी भी निगाहों में कहीं मुमताज है तो है
दिया बनकर जले दिन-रात उसकी मूर्ति के आगे
ये अपने सूफियाना प्यार का अंदाज है तो है
जमाने के लिए राजा रहे हम अपनी मर्जी के
हमारे दिल पे पर इक नाजनी का राज है तो है
उमर इक खूबसूरत मोड़ पर दिल छोड़ आई थी
धड़कनों में उसी की गूँजती आवाज है तो है
हमारा प्यार उठती हाट का सौदा नहीं कोई
बँधे अनुबंध में दुनिया भले नाराज है तो है
खुली है ज़िंदगी अपनी कहीं पर्दा नहीं कोई
अँगूठी में जड़ा उसका दिया पुखराज है तो है
हमारे प्यार का आधार बालू का घरोंदा था
हमारी आँख में वह आज तक भी ताज है तो है
फुदकती ही रही हरदम हमारे प्यार की बुलबुल
जमाने का हरिक सैय्याद तीरंदाज है तो है
अभी तक पढ़ रहे हैं बस रदीफ़ों काफियों को हम
ग़ज़ल में पर हमारा नाम 'भरद्वाज़ है तो है
चंद्रभान भारद्वाज
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