Wednesday, March 20, 2019

     

        सफर अपना सुहाना हो गया 


वक्र ग्रह सीधे हुए विनयी ज़माना हो गया 
उसके मिलने से सफर अपना सुहाना हो गया


चाँद सूरज और तारे संग अपने हो गए 

जबसे अपने संग उसका आना जाना हो गया 



जब अचानक हो गई उसकी नजर मेरी तरफ 

तब से मैं दुनिया की नज़रों का निशाना हो गया 



जन्म से थे यार हम तो आदी तपती धूप के 

अपने सिर पर हाथ उसका शामियाना हो गया 



शब्द-चित्रों में सँजोए उसकी यादों के प्रहर 

लगता अपने नाम कारूँ का खजाना हो गया 



भर उड़ानें पार कर दीं हमने जलती सरहदें 

अपने ऊँचे हौसलों का आजमाना हो गया 



तेज गति से वक्त 'भारद्वाज ' सरपट भग रहा  

अपना पोता अपने से ज्यादा सयाना हो गया 



चंद्रभान भारद्वाज 



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