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तारों से पूछना
रातों की सब कहानियाँ तारों से पूछना
पीड़ाएँ इंतजार की द्वारों से पूछना
तप तप के प्रेम-अग्नि में क्यों राख हो गए
तपने का अर्थ प्रेम के मारों से पूछना
सहती रही है मार इक इक तंतु के लिए
धुनती रुई का दर्द पिंजियारों से पूछना
दाना नहीं मिला कभी पानी नहीं मिला
यायावरी का हाल बनजारों से पूछना
जब नींव की हर ईंट को खुद तोड़ते रहे
गिरने का क्यों सवाल दीवारों से पूछना
हर राग रागहीन है लयहीन रागिनी
सुरहीन क्यों अलाप फनकारों से पूछना
घर में डरे हुए डगर में भी डरे हुए
डर का सुराग आग तलवारों से पूछना
अब देश प्रांत गाँव घर सारे बँटे हुए
बंटने का राज भाषणों नारों से पूछना
हम 'भारद्वाज' कल थे जो हैं आज भी वही
बदली नज़र उन्होंने क्यों यारों से पूछना
चंद्रभान भारद्वाज
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