Friday, July 5, 2019

                  तपाओ तो सही

 ज़िंदगी को वक़्त की लौ पर तपाओ तो सही
आँच में रख प्राण को कुंदन बनाओ तो सही

एक दिन आकाश खुद आएगा धरती पर उतर
हौसलों को ऊँचे से ऊँचा उड़ाओ तो सही

हर्ष के अंकुर उगेंगे देह के हर रोम से
अपनी मिट्टी में लहू अपना मिलाओ तो सही

साफ़ दिख जाएगा इस दुनिया का चेहरा आपको
धूल अपने मन के दर्पण से हटाओ तो सही

दूर होगा एक क्षण में घुप अँधेरा राह का
आस का छोटा सा इक दीया जलाओ तो सही

रंग चटकीले लगेंगे प्रेम के विश्वास के
आँख से नफरत के सब परदे उठाओ तो सही

हर तरफ दिखने लगेगा सिर्फ 'भारद्वाज ' प्रिय
प्रेम सागर में तनिक डुबकी लगाओ तो सही

चंद्रभान भारद्वाज 

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