पार जाने के अलग हैं डूब जाने के अलग
अपनी अपनी ढपलियाँ हैं अपनी अपनी रागिनी
व्याख्याएं तो अलग हैं शब्द गाने के अलग
साज़ सबके और साजिंदे भी सब के एक से
राग के आलाप लेकिन हर घराने के अलग
हैं अलग खुद के लिए तो सत्यनिष्ठा के नियम
पर नियम औरों की निष्ठा आजमाने के अलग
मेल खाता ही नहीं है व्यक्ति से व्यक्तित्व का
दाँत खाने के अलग हैं पर दिखाने के अलग
खेत में गाड़े हुए हैं जो बिजूके बाँस के
भय दिखाने के अलग हैं खग उड़ाने के अलग
देह के स्पर्श सब पहचानती हैं लड़कियाँ
छेड़खानी के अलग हैं गुदगुदाने के अलग
लोभ में दानों के चिड़ियाँ फँस गईं हैं जाल में
गूँजते स्वर उनके डर से चहचहाने के अलग
प्यार भारद्वाज मसला है नहीं कानून का
दिल बने हैं प्यार का रिश्ता निभाने के अलग
चंद्रभान भारद्वाज
No comments:
Post a Comment