प्रार्थनाएं शेष हैं
कामनाएं शेष हैं कुछ लालसाएं शेष है
अंत में जीवन के केवल प्रार्थनाएं शेष हैं
ऊर्जा सारी हुई है व्यय जगत जंजाल में
शब्द हैं अब मौन होठों पर व्यथाएं शेष हैं
मन का मृग तो अब तलक ऊँची कुलाँचें भर रहा
तन की गाडी खींचने को बस दवाएं शेष हैं
तेल प्राणों के दिये का चुक रहा है रात दिन
साँस की कुछ अधजली सी वर्तिकाएं शेष हैं
जो भी जीवन ने कमाया मृत्यु ने छीना सभी
कुछ प्रशंसाएं कि कुछ आलोचनाएं शेष हैं
हो गए हैं आजकल वे बंद कारागार में
कुर्सियों पर किंतु उनकी पादुकाएं शेष हैं
तोड़ डाली हैं भले ही पत्थरों की मूर्तयाँ
पर समय के वक्ष पर उनकी कथाएं शेष हैं
खींच कर जाता है लक्ष्मण नित्य रेखा द्वार पर
फिर भी सीता हरण की संभावनाएं शेष हैं
तम तो भारद्वाज चारों ओर गहराया हुआ
सूर्य पर खग्रास की कुछ यातनाएं शेष हैं
चंद्रभान भारद्वाज
672, साँई कृपा काॅलोनी
बाॅम्बे हास्पीटल के पास
इंदौर म प्र 452010
मो 9826025016
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