टिकने दिया कब
मिली धरती मगर टिकने दिया कब
दिया आकाश तो उड़ने दिया कब
रखीं बंधक कुँवारी कामनाएं
पलक पर स्वप्न इक पलने दिया कब
थके कंधे हुआहै बोझ जीवन
समय के चक्र ने रुकने दिया कब
लगी ठोकर गिरे थे रास्ते में
हमें पर भीड़ ने उठने दिया कब
पहाड़ों से उतरती सी नदी वो
कहीं उस धार ने जमने दिया कब
उगे थे प्यार के पौधे हृदय में
समय ने पर उन्हें फलने दिया कब
थी 'भारद्वाज' मूरत नम्रता की
अहम् ने पर उसे झुकने दिया कब
चंद्रभान भारद्वाज
मिली धरती मगर टिकने दिया कब
दिया आकाश तो उड़ने दिया कब
रखीं बंधक कुँवारी कामनाएं
पलक पर स्वप्न इक पलने दिया कब
थके कंधे हुआहै बोझ जीवन
समय के चक्र ने रुकने दिया कब
लगी ठोकर गिरे थे रास्ते में
हमें पर भीड़ ने उठने दिया कब
पहाड़ों से उतरती सी नदी वो
कहीं उस धार ने जमने दिया कब
उगे थे प्यार के पौधे हृदय में
समय ने पर उन्हें फलने दिया कब
थी 'भारद्वाज' मूरत नम्रता की
अहम् ने पर उसे झुकने दिया कब
चंद्रभान भारद्वाज
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