ग़ज़ल
लिखने वालों ने तो जब प्यार का किस्सा लिक्खा
आग का दरिया लिखा डूब के जाना लि क्खा
प्यार में पहले पहल पत्र लिखा ज ब उसने
खुद को तो हीर लिखा मुझको भी राँ झा लिक्खा
प्यार ने सारे नियम सारी हदों को तोड़ा
प्यास ऐसी थी कि सेहरा को भी दरि या लिक्खा
इस ज़माने ने लिखा प्यार को केवल धोखा
प्यार को हमने मगर नेक इरादा लि क्खा
ज्योति आँखों की लिखी और ह्रदय की धड़कन
प्यार में माँ ने मुझे चाँद का टुकड़ा लिक्खा
राम वनवास भरत राज लिखा कर आए
इन हथेली की लकीरों में भी क्या क्या लिक्खा
जब भी चढ़ता है 'भरद्वाज'नशा लि खने का
पल में इक शेर लिखा पल में ही दो हा लिक्खा
चंद्रभान भारद्वाज़
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