मर्द की तरह रहना
मर्द हो मर्द की तरह रहना
दर्द हमदर्द की तरह सहना
ज़िंदगी रुक गई तो सड़ जाये
अनवरत धार की तरह बहना
बोल विष भी रहे हैं अमृत भी
शब्द मधु में पगे हुए कहना
बात से बात सौ निकलती हैं
जो सही अर्थ दे वही कहना
एक मीनार बन रहो तन कर
रेत के ढूह सा नहीं ढहना
स्वप्न कोई नया अगर देखो
हौसलों में उसे सदा तहना
जब 'भरद्वाज' प्रेम में डूबो
प्रेम की आग में प्रथम दहना
चंद्रभान भारद्वाज
शब्द मधु में पगे हुए कहना
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