कहाँ मिलता है
हर शिखर छूने को सोपान कहाँ मिलता है
हर समस्या का समाधान कहाँ मिलता है
हर सफलता ही कठिन पथ से निकलती है सदा
तप बिना कोई भी वरदान कहाँ मिलता है
ध्येय से ध्यान भटकता है अगर साधक का
तीर को लक्ष्य का संधान कहाँ मिलता है
गुरु का हो नाम भले मूर्ति रहे मिटटी की
गुरु की सद दृष्टि बिना ज्ञान कहाँ मिलता है
कैमरे रहते यहाँ अब तो छिपे कक्षों में
चिपका दीवार पे कोई कान कहाँ मिलता हैं
जन्म से मृत्यु तलक ऋण से दबा है जीवन
उसको चिंताओं से परित्राण कहाँ मिलता है
वह 'भरद्वाज' सदा आती है चुपके चुपके
मृत्यु के आने का कुछ भान कहाँ मिलता है
चंद्रभान भारद्वाज
हर शिखर छूने को सोपान कहाँ मिलता है
हर समस्या का समाधान कहाँ मिलता है
हर सफलता ही कठिन पथ से निकलती है सदा
तप बिना कोई भी वरदान कहाँ मिलता है
ध्येय से ध्यान भटकता है अगर साधक का
तीर को लक्ष्य का संधान कहाँ मिलता है
गुरु का हो नाम भले मूर्ति रहे मिटटी की
गुरु की सद दृष्टि बिना ज्ञान कहाँ मिलता है
कैमरे रहते यहाँ अब तो छिपे कक्षों में
चिपका दीवार पे कोई कान कहाँ मिलता हैं
जन्म से मृत्यु तलक ऋण से दबा है जीवन
उसको चिंताओं से परित्राण कहाँ मिलता है
वह 'भरद्वाज' सदा आती है चुपके चुपके
मृत्यु के आने का कुछ भान कहाँ मिलता है
चंद्रभान भारद्वाज
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