दिल अगर फूल सा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता,
प्यार में यूँ दिया नहीं होता।
प्यार की लौ सदा जली रहती,
भले दीया जला नहीं होता।
एक सौदा है सिर्फ़ घाटे का,
प्यार में कुछ नफा नहीं होता।
रात करवट बदल गुजरती है,
दिन का कुछ सिलसिला नहीं होता।
ज़िन्दगी भागती ही फिरती है,
प्यार का घर बसा नहीं होता।
लोग सदियों की बात करते हैं,
एक पल का पता नहीं होता।
पहले हर बात का भारोसा था,
अब किसी बात का नहीं होता।
प्यार का हर धडा बराबर है,
कोई छोटा बड़ा नहीं होता।
पूरी लगती न 'भारद्वाज' ग़ज़ल,
प्यार जब तक रमा नहीं होता।
चंद्रभान भारद्वाज
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