यह रोग क्या लगा है मुझे
जाने यह रोग क्या लगा है मुझे
कोई लगती नहीं दवा है मुझे
हों खुली या कि बंद हों आँखें
उसका चेहरा ही दीखता है मुझे
फेर कर मुँह को आज बैठा है
जिसकी नज़रों का आसरा है मुझे
मैंने तो ज़िन्दगी खफा दी है
उसने बस दर्द ही दिया है मुझे
जिसका विश्वास मेरी पूँजी थी
शक की नज़रों से देखता है मुझे
इक लिफाफे में कोरा कागज है
पत्र में जाने क्या कहा है मुझे
वक़्त अंधा है रेबड़ी बाँटे
मेरा हक़ भी कहाँ मिला है मुझे
उम्र भर साथ तो दिया मैंने
साथ पर उसने कब दिया है मुझे
साथ छूटा मगर रखा रिश्ता
मान रिश्तों का साधना है मुझे
मेरी नींदों को सिर्फ लौटा दे
अब न कुछ और कामना है मुझे
नाव जर्जर है 'भारद्वाज'मेरी
अपने अंजाम का पता है मुझे
जाने यह रोग क्या लगा है मुझे
कोई लगती नहीं दवा है मुझे
हों खुली या कि बंद हों आँखें
उसका चेहरा ही दीखता है मुझे
फेर कर मुँह को आज बैठा है
जिसकी नज़रों का आसरा है मुझे
मैंने तो ज़िन्दगी खफा दी है
उसने बस दर्द ही दिया है मुझे
जिसका विश्वास मेरी पूँजी थी
शक की नज़रों से देखता है मुझे
इक लिफाफे में कोरा कागज है
पत्र में जाने क्या कहा है मुझे
वक़्त अंधा है रेबड़ी बाँटे
मेरा हक़ भी कहाँ मिला है मुझे
उम्र भर साथ तो दिया मैंने
साथ पर उसने कब दिया है मुझे
साथ छूटा मगर रखा रिश्ता
मान रिश्तों का साधना है मुझे
मेरी नींदों को सिर्फ लौटा दे
अब न कुछ और कामना है मुझे
नाव जर्जर है 'भारद्वाज'मेरी
अपने अंजाम का पता है मुझे
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