राह है वाह है और क्या चाहिए
प्यार हमराह है और क्या चाहिए
दूर है पर किसी दिल में तेरे लिए
प्यार की चाह है और क्या चाहिए
प्यार विश्वास है आस है प्यास है
दर्द है आह है और क्या चाहिए
आँख में तो प्रतीक्षा रही प्यार की
दिल में परवाह है और क्या चाहिए
गोपियाँ नाँचतीं गायें चरतीं जहाँ
वह चरागाह है और क्या चाहिए
प्यार मंदिर है मस्जिद है गिरजा तो है
एक दरगाह है और क्या चाहिए
प्यार ही राम है प्यार ईसा मसीह
प्यार अल्लाह है और क्या चाहिए
प्यार उन्माद है प्यार आल्हाद है
प्यार उत्साह है और क्या चाहिए
जिसका अबतक कहीं तल मिला ही नहीं
प्यार बेथाह है और क्या चाहिए
प्यार झुकता नहीं प्यार डरता नहीं
खुद शहंशाह है और क्या चाहिए
नाव जर्जर हवा तेज मझधार हो
प्यार मल्लाह है और क्या चाहिए
प्यार पिचकारियाँ मस्तियाँ शोखियाँ
फागुनी माह है और क्या चाहिए
प्यार ढलता ग़ज़ल में 'भरद्वाज' जब
वाह ही वाह है और क्या चाहिए
चंद्रभान भारद्वाज
4 comments:
वाह बहुत सुन्दर चित्रण किया है।
प्यार पिचकारियाँ मस्तियाँ शोखियाँ
फागुनी माह है और क्या चाहिए
प्यार ढलता ग़ज़ल में 'भरद्वाज' जब
वाह ही वाह है और क्या चाहिए
बहुत खूब !!
प्यार उन्माद है प्यार आल्हाद है
प्यार उत्साह है और क्या चाहिए
जिसका अबतक कहीं तल मिला ही नहीं
प्यार बेथाह है और क्या चाहिए
बहुत सुन्दर ...
गोपियाँ नाँचतीं गायें चरतीं जहाँ
वह चरागाह है और क्या चाहिए
बहुत सुन्दर ...
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