ज़िन्दगी इक प्रश्न भी है ज़िन्दगी उत्तर भी है
फल कहीं वरदान का शापित कहीं पत्थर भी है
है गुनाहों और दागों से भरा दामन कहीं
पर कहीं दरगाह की इक रेशमी चादर भी है
लग नहीं पाता किसी सूरत से सीरत का पता
तह पे तह बाहर भी उसके तह पे तह भीतर भी है
ज़िन्दगी खुद ही जुआ है खुद लगी है दाँव पर
खुद शकुनि है खुद ही पासे और खुद चौसर भी है
फब्तियाँ मक्कारियाँ चालाकियाँ बेशर्मियाँ
आजकल की ज़िन्दगी बिग बॉस जैसा घर भी है
करना परिभाषित कठिन है ज़िन्दगी का फलसफा
बूँद सी छोटी भी है गहरा महासागर भी है
झाँकती अट्टालिकाओं के झरोखों से कहीं
पर कहीं फुटपाथ पर बेबस भी है बेघर भी है
है ज़माने के निठुर हाथों की कठपुतली कभी
पर कभी सीने पे उसके रेंगता अजगर भी है
चल रहा है लाद 'भारद्वाज' कंधों पर जिसे
पुण्य की है पोटली तो पाप का गट्ठर भी है
चंद्रभान भारद्वाज
फल कहीं वरदान का शापित कहीं पत्थर भी है
है गुनाहों और दागों से भरा दामन कहीं
पर कहीं दरगाह की इक रेशमी चादर भी है
लग नहीं पाता किसी सूरत से सीरत का पता
तह पे तह बाहर भी उसके तह पे तह भीतर भी है
ज़िन्दगी खुद ही जुआ है खुद लगी है दाँव पर
खुद शकुनि है खुद ही पासे और खुद चौसर भी है
फब्तियाँ मक्कारियाँ चालाकियाँ बेशर्मियाँ
आजकल की ज़िन्दगी बिग बॉस जैसा घर भी है
करना परिभाषित कठिन है ज़िन्दगी का फलसफा
बूँद सी छोटी भी है गहरा महासागर भी है
झाँकती अट्टालिकाओं के झरोखों से कहीं
पर कहीं फुटपाथ पर बेबस भी है बेघर भी है
है ज़माने के निठुर हाथों की कठपुतली कभी
पर कभी सीने पे उसके रेंगता अजगर भी है
चल रहा है लाद 'भारद्वाज' कंधों पर जिसे
पुण्य की है पोटली तो पाप का गट्ठर भी है
चंद्रभान भारद्वाज