tag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post2814353458193134416..comments2023-10-15T04:27:46.962-07:00Comments on bhardwaj'sblog: बैठा हुआ हूँchandrabhan bhardwajhttp://www.blogger.com/profile/09515769930349777559noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-27527776183345207282010-01-13T01:56:49.660-08:002010-01-13T01:56:49.660-08:00श्रद्देय भारद्वाज जी, आदाब
'नदी को पार कर बैठा...श्रद्देय भारद्वाज जी, आदाब<br />'नदी को पार कर बैठा हुआ हूँ; <br />सभी कुछ हार कर बैठा हुआ हूँ.' <br />से लेकर<br />'अँधेरा हो न 'भारद्वाज' हावी,<br />दिया तैयार कर बैठा हुआ हूँ.'<br />तक पूरी ग़ज़ल ने बांध कर रखा है..<br /><br />आपने कहा था 'सादा सी ग़ज़ल'???<br />बस हमें तो ऐसी 'सादा' ही पढ़वाते रहें, <br />आपकी इनायत होगी<br />शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-1690156955824850302010-01-12T06:38:52.787-08:002010-01-12T06:38:52.787-08:00मना पाया न रूठी ज़िन्दगी को,
बहुत मनुहार कर बैठा ...मना पाया न रूठी ज़िन्दगी को, <br />बहुत मनुहार कर बैठा हुआ हूँ. <br /><br />उधर सब मन की मर्ज़ी कर रहे हैं, <br />इधर मन मार कर बैठा हुआ हूँ. <br /><br />अँधेरा हो न 'भारद्वाज' हावी, <br />दिया तैयार कर बैठा हुआ हूँ.<br /><br />वाह-वा ....<br />मुहतरम जनाब भारद्वाज जी <br />अभी अभी आपकी कही हुई नायाब ग़ज़ल <br />पढी है और <br />दिलो-दिमाग़ में एक अजब सा सुकून <br />तारी हो गया है <br />एक-एक शेर अपनी मिसाल आप हो रहा है <br />बानगी और लहजा ऐसा .... <br />निहायत सुलझा हुआ कि <br />बात अपने आप पढने वालों को <br />अपनी-सी लगने लगती है <br />आप को पढ़ना हर बार <br />एक अच्छा तज्रबा रहता है <br />आपकी शफ़क़त और राहनुमाई का तालिब . . .<br />'मुफलिस'daanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-68541616207901499812010-01-12T03:51:50.450-08:002010-01-12T03:51:50.450-08:00बहुत खूबसूरत रचना भारद्वाज जी...आपकी रचनाएँ पढ़ कर...बहुत खूबसूरत रचना भारद्वाज जी...आपकी रचनाएँ पढ़ कर हमेशा अच्छा लिखने की प्रेरणा मिलती है...<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-56454504064926187522010-01-12T02:38:22.068-08:002010-01-12T02:38:22.068-08:00bahut hi sundar aur sahaj bhav..........badhayibahut hi sundar aur sahaj bhav..........badhayivandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-70144958405931835022010-01-12T01:33:34.527-08:002010-01-12T01:33:34.527-08:00बहुत सुन्दर मन कि भावनाये ! शायद हम मे से बहुत लोग...बहुत सुन्दर मन कि भावनाये ! शायद हम मे से बहुत लोग आपके इस विचार सह् मत होगे !dipayanhttps://www.blogger.com/profile/07385176375960362837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-12095647002430064362010-01-12T01:31:55.897-08:002010-01-12T01:31:55.897-08:00उधर सब मन की मर्ज़ी कर रहे हैं,
इधर मन मार कर बैठा...उधर सब मन की मर्ज़ी कर रहे हैं, <br />इधर मन मार कर बैठा हुआ हूँ. <br /><br />क्या बात है ..एक से बढ़कर एक<br />सरल सहज और सागर सी गहरी<br />यक़ीनन काबिल-ए -दाद .<br /><br />दाद ..क़ुबूल करेंनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4857185426641824087.post-55783038169422063672010-01-12T00:31:47.154-08:002010-01-12T00:31:47.154-08:00मना पाया न रूठी ज़िन्दगी को,
बहुत मनुहार कर बैठा ...मना पाया न रूठी ज़िन्दगी को, <br />बहुत मनुहार कर बैठा हुआ हूँ. <br /><br />सुंदर उदगार , अच्छी रचनाअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com